नागपुर में हाल ही में हुई हिंसा के कारण कई लोग घायल हो गए, जिससे क्षेत्र में तनाव का माहौल बन गया। इस घटना के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है, और विभिन्न नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं।
हिंसा पर नेताओं की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने इस घटना को पूर्व नियोजित बताते हुए कहा कि यह राज्य सरकार की छवि खराब करने की कोशिश हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिसकर्मियों पर हमले करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी के हाल ही में दिए गए एक बयान को लेकर भी चर्चा हो रही है, जिसमें उन्होंने ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र किया था। कुछ राजनीतिक दलों ने इसे मुद्दा बनाते हुए विरोध जताया है।
शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने कहा कि हिंसा के दौरान पथराव किया गया और वाहनों में आग लगाई गई। स्थानीय लोगों के अनुसार, बड़ी संख्या में लोग एकत्र होकर इस घटना में शामिल हुए। उन्होंने दावा किया कि सीसीटीवी फुटेज में घटना के पीछे शामिल लोगों की पहचान स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
राज्य सरकार का रुख
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि हिंसा के पीछे कुछ अफवाहें थीं, जो स्थिति को भड़काने में भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है, और किसी को भी हिंसा करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि हिंसा के दौरान 30 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें से कुछ को गंभीर चोटें आई हैं। उन्होंने कहा कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
कानून व्यवस्था और सुरक्षा के कदम
हिंसा की गंभीरता को देखते हुए नागपुर शहर के कुछ इलाकों में एहतियातन कर्फ्यू लगाया गया है। पुलिस आयुक्त द्वारा जारी आदेश के अनुसार, कोतवाली, गणेशपेठ, तहसील, लकड़गंज, पचपावली, शांतिनगर, सक्करदरा, नंदनवन, इमामवाड़ा, यशोधरानगर और कपिलनगर सहित कई इलाकों में प्रतिबंध लागू किए गए हैं।
प्रशासन की ओर से लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की गई है।